Braj ke mandaliy prateek
Braj ke Mandaliy Prateek-
कदम्ब कौ पेड़ (cadamba) : Brajbhasha-
कदम्ब कौ पेड़ ब्रज में सब पेड़न में लोक प्रिय ऍह |
भगवान कृष्ण कूँ अति प्यारौ लगतौ ऍह |
जब गेंद निकारबे कूँ बिन नै यमुना में छलांग लगाई हती,तौ बू कदम्ब कौ ई पेड़ हत कहियो |
आजकल नौघरेन (नयौ घर या वाड़ा ) में कहूँ -कहूँ मिल जामतौ ऍह |
गोपिकान के वस्त्र हरण करे हते, तबऊ कदम्ब के पेड़ कौ ही बर्णन मिलतौ ऍह |
वैसे कदम्ब के पेड़ के पत्ता और बीजन ते ” इत्र ” बनायौ जामतौ ऍह |
या की पत्ती,छाल,फल कूँ समान मात्रा मे लेंकैं काढ़ौ पीबे ते टाईप २ डायाबिटीज ठीक है जामतै |
कभऊ-कभऊ औरतें ऊ सिंगार के रूप में प्रयोग करतें |
भगवान कृष्ण कूँ अति प्यारौ लगतौ ऍह |
जब गेंद निकारबे कूँ बिन नै यमुना में छलांग लगाई हती,तौ बू कदम्ब कौ ई पेड़ हत कहियो |
आजकल नौघरेन (नयौ घर या वाड़ा ) में कहूँ -कहूँ मिल जामतौ ऍह |
गोपिकान के वस्त्र हरण करे हते, तबऊ कदम्ब के पेड़ कौ ही बर्णन मिलतौ ऍह |
वैसे कदम्ब के पेड़ के पत्ता और बीजन ते ” इत्र ” बनायौ जामतौ ऍह |
या की पत्ती,छाल,फल कूँ समान मात्रा मे लेंकैं काढ़ौ पीबे ते टाईप २ डायाबिटीज ठीक है जामतै |
कभऊ-कभऊ औरतें ऊ सिंगार के रूप में प्रयोग करतें |
गैया-
ब्रज में “गैया” (गइया ) ऐसौ जानवर ऍह, जाय माँ के रूप में देखौ जामतौ ऍह |
ई कृष्ण की अति प्यारी चीजन में ते एक ऍह |
या में (गइया में ) सबरे देवतान कौ वास बतामत कहियें, ऐसौ पुराणन में लेख मिलतौ ऍह |
अन्य जानवरन की तुलना में ई सब ते उत्तम दूध दैमतै |
वैदिक काल ते ई “गइया” कौ बड़ौ ई महत्व रह्यौ ऍह |
गइयाँन की भारत में ३० ते ऊ ज्यादा नस्ल पायी जामतें |
विश्व में गइयाँन की कुल संख्या १३ खरब (1.3 बिलियन) हैबे कौ अनुमान ऍह, बिन में ते भारत में 281,700,000 (२८ करोड़ ते ज्यादा ) एन्ह |
गइयाँन राखबे भारत कौ 5 मौ स्थान ऍह |
ब्रज भूमि में “गइया मैया” की सब ते ज्यादा गऊशाला हैं |
ई कृष्ण की अति प्यारी चीजन में ते एक ऍह |
या में (गइया में ) सबरे देवतान कौ वास बतामत कहियें, ऐसौ पुराणन में लेख मिलतौ ऍह |
अन्य जानवरन की तुलना में ई सब ते उत्तम दूध दैमतै |
वैदिक काल ते ई “गइया” कौ बड़ौ ई महत्व रह्यौ ऍह |
गइयाँन की भारत में ३० ते ऊ ज्यादा नस्ल पायी जामतें |
विश्व में गइयाँन की कुल संख्या १३ खरब (1.3 बिलियन) हैबे कौ अनुमान ऍह, बिन में ते भारत में 281,700,000 (२८ करोड़ ते ज्यादा ) एन्ह |
गइयाँन राखबे भारत कौ 5 मौ स्थान ऍह |
ब्रज भूमि में “गइया मैया” की सब ते ज्यादा गऊशाला हैं |
मोरा-
ब्रज कौ सबसे प्रसिद्द पक्षी “मोरा” ऍह |
ब्रज मोरा सबेरे-सबेरे (धौंताय) कुक्यामते भये देखे जा सकतैं |
देखबे में बहौतई मलूक लगतें |
कृष्णा अपने मुकुट में “मोरपंख” राखत हते (हत कइये )|
कृष्णा कन्हैया कूँ बड़े प्यारे लगत हत कइये “मोरा पक्षी” , ऐसौ पुराण में बर्णन मिलतौ ऍह |
मोरा एक ऐसौ पक्षी ऍह जो सम्भोग करे ई बिना, आँसूँन नै मोरनी कूँ पिलबा कैं अपनी संतान उत्पत्ति करबामतौ ऍह |
ई काम बू तब करतौ ऍह जब नाचतौ ऍह |
ब्रज मोरा सबेरे-सबेरे (धौंताय) कुक्यामते भये देखे जा सकतैं |
देखबे में बहौतई मलूक लगतें |
कृष्णा अपने मुकुट में “मोरपंख” राखत हते (हत कइये )|
कृष्णा कन्हैया कूँ बड़े प्यारे लगत हत कइये “मोरा पक्षी” , ऐसौ पुराण में बर्णन मिलतौ ऍह |
मोरा एक ऐसौ पक्षी ऍह जो सम्भोग करे ई बिना, आँसूँन नै मोरनी कूँ पिलबा कैं अपनी संतान उत्पत्ति करबामतौ ऍह |
ई काम बू तब करतौ ऍह जब नाचतौ ऍह |
पारंपरिक रहबे , बिछाबे, फटकबे , रखबे के संसाधन –
पुराने समय ते ई काँस (एक प्रकार की घास ),डाब (जटिल घास ), सरपते,बिनडॉरी आदिन कौ बड़ौ ई महत्व रह्यौ हतै |
1-बोइया (काँस तेरोटी रखबे बारौ डिब्बा ),
2-सूप (फटकबे के लें बिनडॉरी की सिरकीन ते बनामतैं)
3-ईंड़ई (ई डाब ते बनतै,और बोझ उचबे कूँ सिर के नीचें लगामतैं )
4-बुर्जी और बिटौरा की छान (इन्नै बनाबे कूँ बिनडॉरी कौ प्रयोग हैमतौ ऍह)
5-छप्पर (छप्पर छायबे कूँ बिनडॉरी के पत्ता (सरपतेन )कौ प्रयोग हैमतौ ऍह )
पुराने समय ते ई काँस (एक प्रकार की घास ),डाब (जटिल घास ), सरपते,बिनडॉरी आदिन कौ बड़ौ ई महत्व रह्यौ हतै |
1-बोइया (काँस तेरोटी रखबे बारौ डिब्बा ),
2-सूप (फटकबे के लें बिनडॉरी की सिरकीन ते बनामतैं)
3-ईंड़ई (ई डाब ते बनतै,और बोझ उचबे कूँ सिर के नीचें लगामतैं )
4-बुर्जी और बिटौरा की छान (इन्नै बनाबे कूँ बिनडॉरी कौ प्रयोग हैमतौ ऍह)
5-छप्पर (छप्पर छायबे कूँ बिनडॉरी के पत्ता (सरपतेन )कौ प्रयोग हैमतौ ऍह )
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साभार:- ब्रजवासी
ब्रजभूमि का सबसे बड़ा वन महर्षि 'सौभरि वन'
आऔ ब्रज, ब्रजभाषा, ब्रज की संस्कृति कू बचामें
ब्रजभाषा लोकगीत व चुटकुले, ठट्ठे - हांसी
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