Braj Ki Boli-
Learn in Brajbhasha Greetings (BrajKiBoli Mein)-
Brajbhasha Part Of Speech-
Noun
काउ व्यक्ति, स्थान, वस्तु आादि के नाम कूँ संज्ञा कहमतें |
जैसे-कमला, रोहन, मुंबई, गाय-गैया, चूहा-मूसौ, बैल-बिजार, बछड़ा-जैंगरा, नेवला-न्यौरा, तोता –हरिया
चिड़िया-चिरैया, ट्रेक्टर- टैकटर, बाइक- मोटर साईकिल , टेम्पो-टम्पू , बघ्घी-बुग्गी , भूसा –भुस, चावल-चामर
बाजरा-बाजरौ, ज्वार चरी , बरसीम -बरसम, भैंस का बच्चा – पड्डा, सियार-सियारिया, नील गाय -रोज
बकरी-बकरिया, मंदिर-मिन्दर , गोवर्धन – गोधन, वृन्दावन-बिन्दावन, बलदेव-दाऊजी, मोर-मोरा , मथुरा-मथरा
चिड़िया-चिरैया, ट्रेक्टर- टैकटर, बाइक- मोटर साईकिल , टेम्पो-टम्पू , बघ्घी-बुग्गी , भूसा –भुस, चावल-चामर
बाजरा-बाजरौ, ज्वार चरी , बरसीम -बरसम, भैंस का बच्चा – पड्डा, सियार-सियारिया, नील गाय -रोज
बकरी-बकरिया, मंदिर-मिन्दर , गोवर्धन – गोधन, वृन्दावन-बिन्दावन, बलदेव-दाऊजी, मोर-मोरा , मथुरा-मथरा
संज्ञा कैउ (निरी ) प्रकार की हैमतैं-
संज्ञा के भेद –
भाववाचक संज्ञासंख्यावाचक संज्ञा
लिंगवाचक संज्ञा
समूहवाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा-बा शब्द कूँ कहमतें जाकौ उपयोग काउ गुण या स्थिति कौ वर्णनन एक वस्तु की तरह करतें |
जैसे-दूसरेन कौ भलौ करबौ अच्छाई कहलाबै |
या वाक्य में अच्छाई भाव भाववाचक संज्ञा ऍह |
या वाक्य में अच्छाई भाव भाववाचक संज्ञा ऍह |
अच्छाई, सफेदी, इमान्दारी, बहादुरी, प्रसन्नता, हरकत, बचपन, युवावस्था, गरीबी आदि |
संख्यावाचक संज्ञा-या तरह की संज्ञा बिन शब्दन के बारे में बतामते जो गिनती की जानकारी दैमतें |
जैसे- दो छोरा गाम की ओर जारे ऍह |
लिंगवाचक-व्यक्ति, पशु या वस्तु के लिंग की जानकारी मिलतै |
जैसे-छोरा स्कूल कूँ गए हतें | या वाक्य में छोरा पुल्लिंग ऍह |
समूहवाचक संज्ञा-कछु बस्तून और व्यक्तिन कौ जिक्र एक साथ करने के लैं याकौ प्रयोग करतें |
जैसे- भैंसन कौ झुण्ड बम्मा में नहारौ ऍह |
वचन – दो प्रकार के हैमतैं
एकवचन- एकवचन में केवल एक जाती,वास्तु,गुण आदि कौ बोध हैमतौ ऍह |
बहुवचन- बहुवचन दो या दो ते ज्यादा(कैउ) बस्तुन या गुणन कौ बोध हैमतौ ऍह |
ब्रजभाषा में शब्द के पीछें “न” लगाबे तेई बहुवचन बन जामतौ ऍह |
जैसे-
चिरैया -चिरैयान कार-कारन भैंस -भैंसन किताब-किताबन
चिरैया -चिरैयान कार-कारन भैंस -भैंसन किताब-किताबन
उदा ०- मेरी सब किताबन नै या किताबन कूँ मेरे थैला में रख देऔ |
सबरे गेहूं के दाने तौ चिरैयान नै चुग लिए |
कुत्तान नै/कूँ तौ घूंसबे की तौ बहौतई बुरी टेब ऍह -कुत्तो को भौकने की तो बहुत ही बुरी आदत है |
PRONOUN-
संज्ञा की जगह पै प्रयोग करबे बारे शब्दन कूँ सर्वनाम कहमतें |
जैसे-
वह – वह-बू, उस -बा, उसे -बाय , वे-बे,,उसका -बा कूँ या बाकौ उसी को- बाई कूँ,उनको- बिन कूँ या बिन्नै
तुम – तोय या तू , तुम्हें -तुझे,तुमको ही- तुमकूँ ई या तोकूँ ई ,तेरे लिये-तेरे काजें या तिहारे लैं, तूने-तैनैं
इस – या, इसे-याय,इसी -यायी,इसी कूँ-यायी कूँ, इसी के लिए -यायी के मारें ,इसी की बजह से- यायी के मारें,इनको-इनकूँ या इन्नै,इसका-या कूँ, या याकौ,इसी को-याई कूँ
हम – हम,हम ही-हमई,हम भी-हमउ ,हम से-हम ते, हमारा-हमारौ, हमको-हमकूँ, हमारे लिए-हमारेउ काजें
मैं – मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं, मुझ से- मो ते
भी- उ, ही-ई, मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई, मेरे लिए -मेरे काजें,मुझ को ही- मो कूँ ई
की बजह से- के मारें
के लिए -के काजें ,से- ते
जिस– जा जिसका-जाय या जाकौ
इधर– इतकू या इत्ते या इल्लंग, उधर बितकू या बित्ते या पल्लंग, यहाँ- इतकूँ वहां -बितकूँ
वह – वह-बू, उस -बा, उसे -बाय , वे-बे,,उसका -बा कूँ या बाकौ उसी को- बाई कूँ,उनको- बिन कूँ या बिन्नै
तुम – तोय या तू , तुम्हें -तुझे,तुमको ही- तुमकूँ ई या तोकूँ ई ,तेरे लिये-तेरे काजें या तिहारे लैं, तूने-तैनैं
इस – या, इसे-याय,इसी -यायी,इसी कूँ-यायी कूँ, इसी के लिए -यायी के मारें ,इसी की बजह से- यायी के मारें,इनको-इनकूँ या इन्नै,इसका-या कूँ, या याकौ,इसी को-याई कूँ
हम – हम,हम ही-हमई,हम भी-हमउ ,हम से-हम ते, हमारा-हमारौ, हमको-हमकूँ, हमारे लिए-हमारेउ काजें
मैं – मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं, मुझ से- मो ते
भी- उ, ही-ई, मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई, मेरे लिए -मेरे काजें,मुझ को ही- मो कूँ ई
की बजह से- के मारें
के लिए -के काजें ,से- ते
जिस– जा जिसका-जाय या जाकौ
इधर– इतकू या इत्ते या इल्लंग, उधर बितकू या बित्ते या पल्लंग, यहाँ- इतकूँ वहां -बितकूँ
सर्वनामउ निरे प्रकार के रहमतें –
व्यक्तिवाचक सर्वनाम-
बू, बे, मैं, तोय आदि जैसे शब्दों को व्यक्तिवाचक सर्वनाम या Personal
Pronoun कहमतें, चौंकि ये शब्द सूदे सूदे काउ व्यक्ति या वस्तु कौ ग्यान
करबामतैं |
जैसे-बू और मोहन मिलकें अच्छौ काम करतें |
जैसे-बू और मोहन मिलकें अच्छौ काम करतें |
संकेतवाचक सर्वनाम-
या सर्वनाम के रूप में या बा, याय, बाय शब्दन कौ प्रयोग जो काउ
वस्तु/वस्तुन की ओर संकेत करबे के लैं करौ जामतौ ऍह, तौ बिन्नै संकेतवाचक
सर्वनाम कहमतें |
जैसे-कोई व्यक्ति इतकूँ आ रौ ऍह |
बू मेरौ गाम वैसौ नाँय जैसौ तुम सोचरे ऍह |
जैसे-कोई व्यक्ति इतकूँ आ रौ ऍह |
बू मेरौ गाम वैसौ नाँय जैसौ तुम सोचरे ऍह |
अनिश्चयवाचक सर्वनाम-
कभऊ कभऊ वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम काउ विशेष वस्तु या व्यक्ति कूँ नाँय
दर्शाबै, बाकौ उपयोग एक सामान्य तौर पै करौ जामतौ ऍह ऐसे सर्वनाम कूँ
अनिश्यवाचक सर्वनाम कहमतें |
जैसे-कछु आदमी बहौत अच्छे हैमतें |
कोई कोई बाकी दुःख की नाँय सुनरौ |
जैसे-कछु आदमी बहौत अच्छे हैमतें |
कोई कोई बाकी दुःख की नाँय सुनरौ |
प्रश्नवाचक सर्वनाम- इन्नै प्रश्न पूछबे के लैं प्रयोग करौ जाय |
जैसे-
जैसे-
को ऍह तू ?
कुनसे कौ ऍह ई पेन ?
कुनसे कौ ऍह ई पेन ?
चौं आजकल्ल के छोरांन /छोट्टन नै बुरी टेब पररई ऍह ?
VERB-
काउ बस्तु या चीज के बारे में कहबे के लैं याकौ प्रयोग हैमतौ ऍह |
क्रिया के कैउ (निरे ) प्रकार ऍह-
अकर्मक क्रिया।
सकर्मक क्रिया।
द्विकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया।
द्विकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया- जिन क्रियान कौ असर “कर्ता ” पै परतौ ऍह, बू अकर्मक कहलामतें |
जैसे-
राकेश रोमतौ ऍह |
पप्पू खामतौ ऍह |
पप्पू खामतौ ऍह |
उदा०–खाना=खानों पीना-पीनौ रहना-रहनौ सोना-सोनौं काटना-काटनौ चलना-चलनौ
सकर्मक क्रिया-जिन क्रियान कौ असर “कर्म ” पै परतौ ऍह, बू सकर्मक कहलामतें |
जैसे-
मैं लेख लिखतौ ऊँह |
मीरा फल लामतै |
मैं लेख लिखतौ ऊँह |
मीरा फल लामतै |
द्विकर्मक क्रिया- जिन क्रियान में दो कर्म हैमत होंय,बाय द्विकर्मक क्रिया कहमतें |
जैसे-
मैंने रामें पुस्तक दई या मैंने राम कूँ पुस्तक दई |
दददू नै मो पै ते पइसा लिए |
दददू नै मो पै ते पइसा लिए |
प्रेऱणार्थक क्रिया बनाबे के नियम- ज्यादातर धातून ते दो-दो प्रेरणार्थक क्रिया बनतैं | जैसे- गिरना-गिरवाना , चढ़ना-चढ़वाना, पीटना-पिटवाना, लूटना-लुटवाना आदि |
अन्य-
जैसे-सुरेश कलेऊ (नाश्ता) कर रौ ऍह |
हरी लड्डू खा रौ ऍह |
चिरैया आसमान में उड़ रई ऍह |
घोडा घास चर रौ ऍह |
छोरा सबन के ऊपर गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह |
गुरु जी बन्दरन नै तार (भगा) रे ऍह |
बू बापै भैरा रौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
छोरी बाहर जाबे कौ मूडौ बना रई ऍह |- (लड़की बाहर जाने का बहाना बना रही है |
Causative verbs –हरी लड्डू खा रौ ऍह |
चिरैया आसमान में उड़ रई ऍह |
घोडा घास चर रौ ऍह |
छोरा सबन के ऊपर गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह |
गुरु जी बन्दरन नै तार (भगा) रे ऍह |
बू बापै भैरा रौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
छोरी बाहर जाबे कौ मूडौ बना रई ऍह |- (लड़की बाहर जाने का बहाना बना रही है |
या प्रकार के वाक्यन में कर्ता कोई काम अपने आप ना करकें ,कोई दूसरे ते करबामतौ ऍह |
उदा०-भगबायौ,पिटबायौ ,कुचलबायौ,सरकबायौ, खबबायौ,नहलबायौ आदि |
जैसे-
कल्लू छाछ महेरी कौ कलेऊ लैंकै बारेन (पास के खेत ) तानीपहुँचबा देगौ |
आज ई सबरे घर के कूरे (कूड़े ) कूँ बहार फिकबा दंगो |
छापौ परबे ते पहलें कागजन नैपजरबा (जलना ) दंगो |
हमारे यांह आ जइयो मैं तोय रोटीखबबा (खिलबा) दंगो |
गाम के प्रधान नै मजदूर पिटवाये |
Adjective-
कोई शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतामत होय, बाय विशेषण कहमतें |
जैसे- बू एक ज्वान छोरा ऍह |
कछु विशेषण शब्द नीचे दिए जा रे ऍह-
खारा-खट्टो, कड़वा-कलेलौ, मीठा-मीठौ
कला-कारौ पीला-पीरौ भूरा-गोरौ सफ़ेद-धौरौ
अच्छा- नेक, सुन्दर-मलूक, चतुर-चालाक
शरारती-निकममौ या बेहया, नुकीला-पैनौ
कला-कारौ पीला-पीरौ भूरा-गोरौ सफ़ेद-धौरौ
अच्छा- नेक, सुन्दर-मलूक, चतुर-चालाक
शरारती-निकममौ या बेहया, नुकीला-पैनौ
विशेषण के कैउ प्रकार हैमतैं –
गुणवाचक विशेषण
समूहवाचक विशेषण
संकेतवाचक विशेषण
परिमाणवाचक विशेषण
समूहवाचक विशेषण
संकेतवाचक विशेषण
परिमाणवाचक विशेषण
गुणवाचक विशेषण- संज्ञा के गुण या प्रकार कूँ दिखाबे बारे शब्दन कूँ गुणवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे- दिल्ली बहौत बड़ौ शहर ऍह |
समूहवाचक विशेषण- जिन शब्दन के द्वारा सामूहिक संख्या कौ बोध होय,बाय समूहवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे-दो आदमी सुरेश के संग कलेऊ (नाश्ता) कर रे ऍह |
जैसे-दो आदमी सुरेश के संग कलेऊ (नाश्ता) कर रे ऍह |
संकेतवाचक विशेषण- जिन शब्दन संकेत में कौ बोध होय,बाय संकेतवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे- बू आदमी स्वभाव में बड़ौ अच्छौ ऍह |
परिमाणवाचक विशेषण- जिन शब्दन में नाप-तौल कौ बोध होय,बाय परिमाणवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे- मोय दो मीटर लत्ता चहियै |
संज्ञा से विशेषण बनानौ –
प्रत्यय संज्ञा विशेषण
क –
अंश-आंशिक
धर्म धार्मिक
अलंकार -आलंकारिक
नीति-नैतिक
अर्थ-आर्थिक
दिन-दैनिक
इतिहास- ऐतिहासिक
देव-दैविक
इत-
अंक-अंकित
कुसुम-कुसुमित
सुरभि-सुरभित
ध्वनि-ध्वनित
क्षुधा-क्षुधित
तरंग-तरंगित
इल-
जटा-जटिल
पंक-पंकिल
फेन-फेनिल
उर्मि-उर्मिल
इम-
स्वर्ण-स्वर्णिम
रक्त-रक्तिम
ई-
रोग-रोगी
भोग-भोगी
ईन-
कुल-कुलीनAdverb-
घोडा हरी घास चर रौ ऍह |
छोरा सबन के ऊपर रंग-बिरंगी गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह |
गुरु जी बन्दरन नै मोटे बारे डण्डा ते तार (भगा) रे ऍह |
बू बापै बड़े-बड़े ढिले (मिटटी के टुकड़े ) फैंकरौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
धर्म धार्मिक
अलंकार -आलंकारिक
नीति-नैतिक
अर्थ-आर्थिक
दिन-दैनिक
इतिहास- ऐतिहासिक
देव-दैविक
इत-
अंक-अंकित
कुसुम-कुसुमित
सुरभि-सुरभित
ध्वनि-ध्वनित
क्षुधा-क्षुधित
तरंग-तरंगित
इल-
जटा-जटिल
पंक-पंकिल
फेन-फेनिल
उर्मि-उर्मिल
इम-
स्वर्ण-स्वर्णिम
रक्त-रक्तिम
ई-
रोग-रोगी
भोग-भोगी
ईन-
कुल-कुलीनAdverb-
क्रिया की विशेषता बताबे बारे शब्द कूँ क्रिया-विशेषण कहमतैं |
जैसे-
जल्दी-बेगि बड़ा-बड़ौ खारा-खट्टो,
कड़वा-कलेलौ मीठा-मीठौ कला-कारौ पीला-पीरौ भूरा-गोरौ सफ़ेद-धौरौ अच्छा- नेक
सुन्दर-मलूक शरारती-निकममौ या बेहया नुकीला-पैनौ चतुराई -चालाकी
ई कैउ प्रकार कौ हैमतौ ऍह-
स्थानवाचक
कालवाचक
परिमाणवाचक
दिशावाचक
रीतिवाचक
कालवाचक
परिमाणवाचक
दिशावाचक
रीतिवाचक
स्थानवाचक- काउ स्थान कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- बू यही कहीं छिपौ ऍह |
यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर
कालवाचक- समय कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- मैं दिल्ली कूँ कल जांगो |
आज, कल, परसों, पहले, पीछे, अभी
परिमाणवाचक- मात्रा या निश्चित संख्या कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- घर के बाहर मेह पररौ ऍह |
बहुत, अधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल
दिशावाचक- काउ क्रिया की दिशा कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- हम दोनों एक दूसरे के दांये -बांये चलेंगे |
दायें-बायें, इधर-उधर, किधर, एक ओर, चारों तरफ़
रीतिवाचक- काउ रीति कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- बापै सचमुच गानों गाबौ आमतौ ऍह |
सचमुच, ठीक, अवश्य, कदाचित्, यथासम्भव
अन्य उदाहरण-
राजू बहौतबेगि दौड़तौ ऍह |
यांह बेगि शब्द दौड़बे ( क्रिया ) की बिशेषता बतारौ ऍह
चिरैया आसमान में ऊंची उड़ रई ऍह |घोडा हरी घास चर रौ ऍह |
छोरा सबन के ऊपर रंग-बिरंगी गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह |
गुरु जी बन्दरन नै मोटे बारे डण्डा ते तार (भगा) रे ऍह |
बू बापै बड़े-बड़े ढिले (मिटटी के टुकड़े ) फैंकरौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
conjuction-
जब दो या दोन ते ज्यादा शब्दन कूँ या वाक्यन कूँ जोङतौ ऍह । बाय समुच्चयबोधक कहमतें |
कछु शब्द या प्रकार ऍह-
तब,और,बरना,इसलिए,ताकि,चूँकि,अथवा,अन्यथा,एवं,तौ,फलतः, ,परन्तु, पर, किन्तु, मगर यदि….तो, जा…तो, यद्यपि….तथापि, यद्यपि…परन्तु आदि।
जैसे-
तू चाहमतौतौ तौ बू कल आ जामतौ |
दोऔर दो चार हैमतें |
रोहन आगरा जा रौ ऍहमगर मोहन दिल्ली कूँ |
मैं पढ़नौ चहामतौ ऊँहपर किताबन ते नाँय सिर्फ ऑनलाइन ई |
राहुल आज विष्णु केसंग पोखर पै गयो ऍह |
Note-
Conjunctions
की ई तरह relative pronouns, relative adverbs और prepositions ऊ शब्दन या
वाक्यन कूँ जोड़ने कौ काम करतें | यालैं (इसलिए इन्नै अलग अलग चिन्हित
करते समय सावधानी बर्तनों जरुरी ऍह |
preposition-
बे शब्द या
बिन शब्दन कौ समूह जो काउ संज्ञा या सर्वनाम ते पहले लगाए जामतें और बू
सम्बन्धसूचक बा संज्ञा या सर्वनाम कौ सम्बन्ध काउ दूसरे शब्द ते प्रदशित
करतें |
या यौंह कह सकैं कै “बू वाक्य जामें गहरी अनूभूति हो बाय विस्मयादिबोधक कहमतें” |
जैसे- कौ,की,के,भी,लिए,और आदि
बू किसान खेतमें काम करतौ ऍह |
बबलू पोखरके अंदर नहारौ ऍह |
राम, श्यामकौ बहौत बडे मित्र ऍह |
राम की मोय नाँय पतौ , बू घर ते बाहर ऍह |
राम अपने घर वारेन के संग सबरे सामान समेत गयौ ऍह |
यांह जो ऊपर गहरे शब्द ऍह, बे सब सम्बन्धबोधक ऍह |
“भी” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “उ” लगाबे ते हिंदी के “भी” शब्द के हांई काम करतौ ऍह |
जैसे-
महादेवउ और रमेशउ दिल्ली कूँ जांगे |-महादेव भी रमेश भी दिल्ली को जाएंगे
तूउ और मैंउ संगई संग जांगे |
मैं खाबे कूँ तोकूँ चीनीउ और बुरौउ दंगो |
रेलउ और बसउ दोनोंई खचाखच भरी भयीं हती |
तूउ और मैंउ संगई संग जांगे |
याकेउ छोरा कौ नाम कान्हा ऍह और बाकेउ छोरा कौ नामउ कान्हा ऍह |
“ही” अक्षर कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “ई” लगाबे ते हिंदी के “ही” शब्द के हांई काम करतौ ऍह |
जैसे-
गोविन्दई जायगौ गोकुल ते बल्देब कूँ दूध लैंकैं |
सबरी चीजन नै तौरामई कूँ दियायौ ऍह, मोकूँ तौ तैनैं झुनझुना पकरा दियौ ऍह |
एक तूई ऍह जो मेरे हाँईं ऍह जो कछु मेरीउ सुन लैमतौ ऍह |
सब कहमतें कै भगवान तौएकई ऍह, जबउ पतौ नाँय आदमी धर्म कूँ लैकें चौं लडतें |
“मॉंऊँ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “मॉंऊँ” लगाबे ते हिंदी के “तरफ या ओर” शब्द के हांई आबाज पैदा करतौ ऍह |
जैसे-
बाकी मय्यो तेरी मय्यो केहाईं नाँय, बा ते सौबट चोखी ऍह |
भारत चीन केहाईं बड़ौ देश ऍह |
“मारें ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “मारें ” लगाबे ते हिंदी के ” बजह ” शब्द के हांई आबाज निकरतै |
जैसे-
आज तेरी इन गलतीन के मारें मोय यहाँ आनौ परौ ऍह |
दुनिया में पाकिस्तान कौ नाम आतंकवाद केमारें बदनाम भयौ परौ ऍह |
“कूँ या ‘के लैं’ ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “कूँ ” लगाबे ते हिंदी के ” को ,के लिए ” शब्द के हांई आबाज निकरतै |
जैसे-
आज तेरी इन गलतीन केमारें मोय यहाँ आनौ परौ ऍह |
आज सबरे कामन नै तोकूँ दंगो, चौंकै मौ कहूँ बाहर जानौ ऍह |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीन नै विकास के लैं तौ बेर बेर में इत ते बित कूँ जानौ पररौ ऍह |
” पै ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “पै ” लगाबे ते हिंदी के ” पर ” शब्द के हांई आबाज निकरतै |
जैसे-
तोपै, हम पै, सब पै, और या देश रहबे बारे सबरे आदमीं पै देश की मट्टी कौ कर्ज ऍह |
यांह जितनेउ लोग ठाड़े ऍह बिन सबरेनपै ते १००-१०० रुपैयान की उगाही कर लेऔ |
” संग ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “संग ” लगाबे ते हिंदी के ” साथ ” शब्द की आबाज निकरतै |
जैसे-
बहु अपने दूल्हा केसंग खेतन नै देखबे जा रही है |
हमें गरीब लोगन कौ संग देनौ चइयै |
Interjection-
विस्मयादिबोधक कौ प्रयोग “जिया” में (हृदय में) एकदम या अचांनचक्क हैबे बारी भावनान कूँ ऊ बताबे के लैं हैमतौ ऍह |
या यौंह कह सकैं कै “बू वाक्य जामें गहरी अनूभूति हो बाय विस्मयादिबोधक कहमतें” |
जैसे-
अरे! (उरे )
काश!
वाह!
हाय
काश!
वाह!
हाय
(1) हर्षबोधक- अहा ! धन्य !, वाह-वाह !, ओह ! वाह ! शाबाश !
(2) शोकबोधक- आह !, हाय !, हाय-हाय !, हा, त्राहि-त्राहि !, बाप रे !
(3) विस्मयादिबोधक- हैं !, ऐं !, ओहो !, अरे, वाह !
(4) तिरस्कारबोधक- छिः !, हट !, धिक्, धत् !, छिः छिः !, चुप !
(5) स्वीकृतिबोधक- हाँ-हाँ !, अच्छा !, ठीक !, जी हाँ !, बहुत अच्छा !
(6) संबोधनबोधक- रे !, री !, अरे !, अरी !, ओ !, अजी !, हैलो !
(7) आशीर्वादबोधक- दीर्घायु हो !, जीते रहो !
(2) शोकबोधक- आह !, हाय !, हाय-हाय !, हा, त्राहि-त्राहि !, बाप रे !
(3) विस्मयादिबोधक- हैं !, ऐं !, ओहो !, अरे, वाह !
(4) तिरस्कारबोधक- छिः !, हट !, धिक्, धत् !, छिः छिः !, चुप !
(5) स्वीकृतिबोधक- हाँ-हाँ !, अच्छा !, ठीक !, जी हाँ !, बहुत अच्छा !
(6) संबोधनबोधक- रे !, री !, अरे !, अरी !, ओ !, अजी !, हैलो !
(7) आशीर्वादबोधक- दीर्घायु हो !, जीते रहो !
उदाहरण –
उरे ! ई तौ बहौत मलूक ऍह |
वाह: ! कितनौ अच्छौ मौसम ऍह ।
हाय ! इतनी कर्री टक्कर भयी, कै मेरे अबउ पाम कांप रे ऍह |
बाप रे बाप ! तैनैं ई काह कर डारौ |
हाँ जी ! तुम या काम कर सकतें |
Brajbhasha Greeting-
आपकौ स्वागत ऍह – आपका स्वागत है |
राधे-राधे – नमस्ते |
तुम कैसे ऍह – तुम्हारौ काह है रह्यौ ऍह |
मैं अच्छौ ऊँ – मैं अच्छा हूँ |
बहौत दिनान ते आप देखे नाँय- बहुत समय से आपको देखा नहीं |
आपकौ नाम काह ऍह – आप का नाम क्या है ?
मेरौ नाम …..ऍह – मेरा नाम … है |
दुबारा मिलंगे -फिर मिलेंगे |
आपकौ दिना अच्छौ बीतै-आप का दिन अच्छा बीते!
कृपा करकें नैक हौलें बोलौ -कृपया ज़रा धीरे बोलिये।
काह आप अँगरेजी बोलतें- क्या आप अंग्रेज़ी बोलते हैं?
हम्बै ,नैक सी -हाँ, थोडी सी |
माफ़ कर देऔ -क्षमा कीजिए |
कोई बात नाँय -कोई बात नहीं |
मैं तो ते बहौत प्यार करतौ ऊँ-मैं तुमसे प्यार करता हुँ |
रुकियो – रुको!
जन्मदिन की हार्दिक बधाई -जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें |
एक भाषा कभउ ज्यादा नाँय हैमत – एक भाषा कभी भी काफ़ी नहीं होती |
In Market-
Braj- भारतीय बाजारों में दालों के भाव अभी तो गिरने का नाम ही नही ले रहे हैं |
Hindi- भारतीय बजारन में दारन के भाव अबई तौ गिरबे कौ नाम ऊ नाँय लै रे ऍह |
Braj- भाई ठेले वाले से चार किलो कच्चा आम ले लो |
Hindi- भैया ठेला बारे पै ते चार किलो कचचौ आम लै लेऔ |
Braj- इधर
से उधर घूम रहा हूँ पर मुझे मंडी की तरफ जाने वाली गली नही मिल रही है-इत
ते बित डोल रौ ऊँह ,पर मोय मंडी के माँऊँ जाबे बारी गली नाँय मिल रई |
Hindi- इस बाजार में फलों और सब्जियों के आलावा कपडे भी मिलते हैं-या बजार में फलन और सब्जीन के आलावा लत्ता ऊ मिलतें |
Braj- यहाँ से वहाँ तक कपड़ों की दुकानों की लाइन लगी हुई हैं |
Hindi- यांह ते वहां तक लत्तांन की दुकानन की लैन लगी परी ऍह |
Braj- बरसात आने की बजह से सारे बाजार में पानी भर गया है |
Hindi- मेह आबे के मारें सबरे बजार में पानी भर गयौ ऍह |
Braj- सरकार को कीमतौं पर काबू करना चाहिए |
Hindi- सरकार कूँ कीमतंन पै काबू करनौ चहियै |
In School-
HIndi- आपके स्कूल के लिए यहाँ से बस किधर मुड़ती है?
Braj- तुम्हारे स्कूल कि बस यांह ते कितकूँ मुड़तै?
Hindi- रोहन और सोहन के स्कूल के बारे में उनको नही पता |
Braj- रोहन और सोहन के स्कूल के बारे में बिन्नै नाँय पतौ |
Hindi- मुझे लगता है कि ये स्कूल आठवी से दसवी तक हो जायेगा |
Braj- मोय लगतौ ऍह कै स्कूल आठवी ते दसवी तानी है जाबैगौ |
Hindi- छोटे छोटे बच्चौ के लिए थोड़ी थोड़ी दूरी पर शेल्टर बने हुए हैं |
Braj- लौहरे – लौहरे बच्चन कूँ नैंक नैंक दूर पै शेल्टर बने भये ऍह |
Hindi- मैं स्कूल जाता हूँ |
Braj- मैं स्कूल जामतौ ऊँह |
Hindi- वो अपने बड़ों के पैर छूता है |
Braj- बू अपने बड़ेन के पैरन नैं छीमतौ ऍह |
Hindi- लंच टाइम कितने बजे से कितने बजे कि बीच में होता है |
Braj- लंच टाइम कै ते कै बजे के बीच में हैमतौ ऍह |
Hindi- इस देश में पढ़ने वालो की संख्या अब भी काम है जिसे आंकड़े प्रदर्शित करते हैं |
Braj- या देश में पढ़बे बारेन की गिनती अबऊ काम ऍह जाय आंकड़े दरशामतैं |
Brajbhasha Question Word-
प्रश्नवाचक वाक्य-
जिन वाक्यन में पूछबे कौ भाव हैबै,बाय प्रश्नवाचक वाक्य कहमतें |
जैसे-
क्या – काह
क्यों – चौं
किसलिए – कायकूं
कहाँ – कांह
कहाँ – कांह
किसी – काउ
कभी – कबहुँ
किसकी या किसका – काईकी या काईका
कैसा – कैसौ
किसकी या किसका – काईकी या काईका
कैसा – कैसौ
कौन – को
कितना -कितनौ या कै
कौनसा -कुनस
कौनसा -कुनस
किधर-कित या कितकूँ
कहीं- कहूँ
उदाहरण-
Braj- को को, ऍह जो नाचबौ चाहमतौ ऍह ?
Hindi- कौन- कौन, ऍह जो नाचना चाहता है ?
Braj- कुनसी, बस गड्ढे में गिर गयी ऍह?
Hindi- कौनसी, कौनसी बस गड्ढे में गिर गयी है ?
Braj- काह, तुम मो ते ई कह रे एन्ह ?
Hindi- क्या, आप मुझ से ही कह रहे हो ?
Braj– हमारौ देश चौं नाँय तरक्की कर रौ ऍह ?
Hindi– हमारा देश क्यों नही तरक्की कर रहा है ?
Braj– आलू कै रुपइया किलो चलरे ऍह?
Hindi– आलू कितने रूपये चल रहे हैं ?
Braj– तुम कांह जा रे ऍह ?
Hindi– तुम कहाँ जा रहे हैं ?
Braj– तेरौ स्कूल कितकूँ एन्ह ?
Hindi– तेरा स्कूल किधर है ?
Brajbhasha Tense-
Present Tense-
वर्तमान
काल कौ प्रयोग ऐसी घटनान नै बरनन करबे कूँ हैमतौ ऍह, जो ई बतातैं कै ई
क्रिया रोज नियमित तरीका ते हैमतौय या है रौ ऍह,वाक्यन के अन्त में तौ
ऍह,ती ऍह,तौ ऊँह आमतें आदि |
जैसे-
(indefinite)-
(indefinite)-
राम खामतौ ऍह – राम खाता है
बिल्ली मूसे कूँ खामतै -बिल्ली चूहे को खाती है
Continuous-
बन्दर कुदक कुदक कैं झीना पै चढ़ रौ ऍह-बन्दर कूद कूद कर सीढ़ियों पर चढ़ रहा है|
बाय बहौत जोरन ते भूख लग रई ऍह – उसे बहुत जोर से भूख लग रही है |
छोरा छोरी ते मिठया मिठया कैं बोलरौ ऍह -लड़का लड़की से प्रेम से बोल रहा है |
Perfect-
बिलौंटा दूध की हड़िया कूँ चट्ट कर चुकौ ऍह- नर बिल्ली दूध की हांड़ी को चट कर चूका है|
आंच बरबे ते पहलें सेमरी राँध चुकी ऍह- आग लगने से पहले सेवई पक चुकी हैं |
Perfect Continuous-
पिछले चार घंटान ते मोय खेत पै ते चिरैया तारनी पर र ई ऍह-पिछले चार घंटौं से मुझे खेत से चिड़िया भगानी पड़ रही हैं |
२ दिनान ते गइया दूध दैबे कूँ पाँस नाँय रई-२ दिन से गाय दूध दुह ने के लिए पाँस नही रही है|
Past Tense-
जो समय
बीतगौ , बा समय में भये भाए काम की पतौ चलतै और अंत में गयौ, गयी,गये या
हतै,हती,हतें आदि शब्द आमें तौ समझ जाऔ ई पास्ट टेंस ऍह,वाक्य के अंत में
यौ,यी ,ये, या फिर हते,हती,हतो आदि आमें तौ समझ लेऔ,पास्ट कौ बोध है रौ ऍह |
|
(indefinite)-
जैसे-
बू तौ स्कूल गयौ |
मो ते मक्खी चिपट गयी |
कल्ल को को दिल्ली कूँ गये |
बू अपनी बहु कौ नाम भूल गयौ हतो |
इ पहले तौ मंदिर जामतौ हतो,अब नाँय जाबै |
Continuous- वाक्य के अंत में रहयौ हतो,रई हती, रये हते या शब्द के अंत में औ की आबाज आबै तो समझ जाऔ कै पास्ट कंटीन्यूअस ऍह |
जैसे-
जैसे-
गइया खेत पे घास चार रई हती |
Perfect- वाक्य के अंत चुकौ हतै , चुकी हती ,चुके हते आमें तौ बू टेंस कहलामतौ ऍह |
जैसे-
लड्डू खाबे ते पहलें फूट चुकौ हतो |
लड्डू खाबे ते पहलें फूट चुकौ हतो |
Perfect Continuous- ई टेंस बतामतौ ऍह कै भूतकाल में ऊ काम जारी हतो |
जैसे- राहुल जनवरी ते ई खानों नाँय खा रौ हतो |
Future Tense-
जिन वाक्यन के अंत में गौ, गो, गी,गे आमतें,बू फ्यूचर टेंस कहलामतौ ऍह |
Indefinite-वाक्यन के अंत में गौ, गो, गी,गे आनौ या टेंस की पहिचान ऍह |
जैसे-
मैं घर कूँ जांगो |
तू कछु खाबैगौ काह?
Continuous- वाक्य के अंत में रौ होयगौ,रई होयगी,रे होंगे, आमें तौ बू फ्यूचर कॉन्ट्यूनियस कहलामतौ ऍह |जैसे-
घनश्याम बा समय पै दिल्ली जारौ होयगौ |
बू मिन्दर में मिठाई बाँट रौ होयगौ |
Perfect- वाक्य के अन्त में चुकौ होयगौ, चुकी होयगी ,चुके हुंगे, आमें बाय फ्यूचर परफेक्ट कहमतें |
जैसे-
जैसे-
माला वारौ धागा में बीज पो चुकौ होयगौ |
रसगुल्ला परोसबे ते पहले बे चूरू लै चुके हुंगे |
Perfect Continuous- फ्यूचर परफेक्ट कंटिन्युअस टेन्स बतामतौ ऍह कै कोई काम निश्चित समय में में शुरू होयगौ और भविष्य के दिए भये समय तक चलतौ ई रहबैगौ |
जैसे-
जैसे-
मैं कल्ल धौताय (सुबह ) ते गिल्ली डण्डा खेल रौ हुंगो |
राहुल तोय मैं सही बताय रऊँ कै, २ घंटा ते डॉक्टर नाँय आबे के मारें मरीज जान ते मररौ होयगौ |
Brajbhasha Vocabulary——
प्रश्नवाचक-
क्या-काह, क्यों-चौं, किसलिए -कायकूं, कहाँ-कां, किसी-काउ, कभी-कबहुँ
कैसा-कैसौ, कौन -को, कितना-कितनौ, कौनसा-कुनसौ
किधर-कित या कितकूँ, यहाँ- इतकूँ, वह-बितकूँ|
स्वाद-
खारा-खट्टो, कड़वा-कलेलौ, मीठा-मीठौ |
रंग-
क|ला-कारौ, पीला-पीरौ, भूरा-गोरौ, सफ़ेद-धौरौ
भूरौ भरंग, कारौ कसट्ट, पीरो झनक, लाल सुरक्क, हरौ कच्च, सफ़ेद भक्क
अच्छा- नेक, सुन्दर-मलूक
शरारती-निकममौ या बेहया, नुकीला-पैनौ
चतुर-चालाक
क्रिया-
खाना=खानों, पीना-पीनौ, रहना-रहनौ, सोना-सोनौं, काटना-काटनौ, चलना-चलनौ
नींद आना – औंग आना सर्वनाम & पूर्वसर्ग –
वह-बू, हम-हम, वे-बे
इस-या, इसे-याय, उस -बा, उसे -बाय
इसका-या कूँ या याकौ , उसका -बा कूँ या बाकौ
इसी को-याई कूँ, उसी को- बाई कूँ
मैं-मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं
भी-उ, ही-ई, मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई
मुझ को ही- मो कूँ ई
की बजह से- के मारें
से- ते, मेरा-मोकूं , तेरा-तोकू, हमारा -हमकूं, उसका-वाकू, इसको-या कू, तुम-तू या तोय , मैं-मोय , वह-बू ,यह- ई
अब-अबई, क्यों-चौं, उसको-वाकू या जाय , इसको-याकू या याय
वहाँ-म्हां, क्यों-कायकूं , कभी-कबऊ, नही-न या नाय, सभी-सबन्नै
जिस-जा, जिसका-जाय या जाकौ, इनको-इन्नै, उनको-बिन्नै
इधर-इतकू या इत्ते, उधर बितकू या बित्ते, जल्दी-बेगि, बड़ा-बड़ौ संज्ञा-
गाय-गैया, चूहा-मोसौ, बैल-बिजार, बछड़ा-जैंगरा, नेवला-न्यौरा
तोता -हरिया, मोर-मोरा, चिड़िया-चिरैया, भैंस का बच्चा – पड्डा
सियार-सियारिया, नील गाय-रोज, बकरी-बकरिया
मंदिर-मिन्दर, गोवर्धन – गोधन, वृन्दावन-बिन्दावन, बलदेव-दाऊजी, मथुरा-मथरा
ट्रेक्टर- टैकटर, बाइक- मोटर साईकिल, टेम्पो-टम्पू, बघ्घी-बुग्गी , भूसा -भुस
चावल-चामर, बाजरा-बाजरौ, ज्वार- चरी, बरसीम- बरसम, खाली -रीतौ , गडुआ -लोटा
बहुत-निरे, बिन बालों का सिर -खुटमुंडी टांट, जी भर के- झिककैं, जोर से-मसक्कैं,
परों में दर्द मारना-पामन में भड़क मारनौ ,बार-बार मिन्नत करना -निहोरे करना
आँहाँ-हाँ, नहीं-नाँय, हम्बै-हाँ जी, न्याःह -इधर आ
ठंठाठेल- मजबूत , छट्टा-शानदार , धींगरा-शक्तिशाली
जलना-भुरसना या पजरना, बड़ी मुश्किल से – नीठ खाना खाने के बाद पानी पीना- चूरू लेना , रगड़ना-मीडना, बिना नमक वाला- अरौनौ, नंगा-उगाहरौ जबरदस्ती-धिंगरै या धिंगरई, धौंस -चुनौती गौंहजौ -नादान, ख्वारी हैनौ – परेशानी का सामना करना
औगन- शोर शराबा , औंढी-गहरी , पोखर-तालाब, चुपटानौ – चिपकाना, लम्बी फैंकनौ – डींगें मरना
कलेउ -जलपान अभाल- अभी
अकवार-सामने , निचाबलौ -चुपचाप, किल्ल परैगी-डांट पड़ेगी , बर्रानौ -सपना देखना
अवेर है गई है- देर हो गई है , बबरपंच- जबरदस्ती से बीच में हिस्सा लेना
या लैं= इस लिए या कूं= इसके लिए वा लैं =उसके लिए या ई कूं =इसी (ही) के लिए वा ई कूं= उसी (ही) के लिए
उलाहना – उरहानौ ,अंदर डालना-घुसाना, नौहरनौ-झुकना अलग करना – सुर्जाना , लड़ाना- इरजानौ
मुशीबत- औगार ,बगैराह -हंनै ,कोना- किनाठा , अरे- इरे, इधर-इरेकुं ,उधर -परेकुं, उमस-भवका
खाली समय- सोपतौ,चापलूसी करना- लुल्ल चुप्प करनौ
फांदना – नांखना , रुक जा – डट जा , पास बैठ-जौहरें बैठ
पास आज – जौहरें आ ‘या’ ढिंग आ , मुंह-मौहडॉ , सुन्दर-मलूक, शाम-सांझ या संजा
सुबह – धौंताय , बिजली गिरना-बीजरी परना, जल्दी निकल जा-बेगि निकर जा, नमक-नौंन
चूहा-मूसौ , बाल-बार या लटुरे , जलपान – कलेऊ , सब्जी पकाना -साग रांदना , उबालना- उसेहना
कददू- घीया , तालाब-पोखर , चुप रह- निचाव्लौ रैह
रिस होना- गुस्सा होना, अभी-अभाल popla Toothless
Dokri Old woman
kanthi Neckless
Beejna Fan
Byar Air
punyon Full moon day (purnima)
Bichara Orphan(male)
Tuuk Piece
Thaur place
paino sharp
नखरे -निहोरे , विपत्ति-भावई, सुबह-धौताएं या सवेरौ, संध्या -संजा, दोपहर-दुपैर, खड़ा होना-ठाडौ रै
पागल-बाबडॉ , ऊधमी (लड़की से) -बबालो (छोरी ते ), बास्टर्ड-बिजलौड़ी, ज्यादा सर चढ़ा हुआ-मुथर्र
हसी मजाक करना -ठट्ठे मारना, गुस्सा दिखाना-नठराना , नींद-ऑंग, मनाना-पुचकारना,पति-धनि, पत्नी-धन्यान, आराम -सोप्तौ , आराम कर लो- दम पकर लै, नहीमानुँगा- अब नाय निठैगी
जल पिला दो-पानी प्याय दै, सब आगे निकल गए पर तुम वही के वही हो- सबरे आयगें निकरगे पर तू तौ मही के मही ऐं, चारा-न्यार , बरसीम- बरछी , दरातीं-दरांत , कुल्हाड़ी-कुडारी,लकड़ी-लकडिया , बबूल- बमूर , जामुन-जामिल, गढ्डे को भर दो- गढ्डे अटाय देऔ, तरबूज- मतीरा
Agreeculture-पागल-बाबडॉ , ऊधमी (लड़की से) -बबालो (छोरी ते ), बास्टर्ड-बिजलौड़ी, ज्यादा सर चढ़ा हुआ-मुथर्र
हसी मजाक करना -ठट्ठे मारना, गुस्सा दिखाना-नठराना , नींद-ऑंग, मनाना-पुचकारना,पति-धनि, पत्नी-धन्यान, आराम -सोप्तौ , आराम कर लो- दम पकर लै, नहीमानुँगा- अब नाय निठैगी
जल पिला दो-पानी प्याय दै, सब आगे निकल गए पर तुम वही के वही हो- सबरे आयगें निकरगे पर तू तौ मही के मही ऐं, चारा-न्यार , बरसीम- बरछी , दरातीं-दरांत , कुल्हाड़ी-कुडारी,लकड़ी-लकडिया , बबूल- बमूर , जामुन-जामिल, गढ्डे को भर दो- गढ्डे अटाय देऔ, तरबूज- मतीरा
बुबाई-बोमनी, जुताई-जोत , सिंचाई -परहेट, फावड़ा -फाबरौ, नाली-बराह, गोबर का ढेर -घूरौ
पेशाब कर के आ – मूत्या…,पागल- बाबड़ौ, खेतों के लिए जाने वाला रास्ता – दगरौ या दगरिया
मस्तक-माथौ , पैर-पाम , घुटना-घोंटू, हथेली-हथेरी नाख़ून-नौह, मूँछ-गौंछ, बाजू-बांह , ऊँगली-अंगुरिया, बाल-बार , माता-मइयो,भाई-भइया ,बुआ -भुआ ,मामी-माईं,ससुर-सुसर ,साली-सारी |
Brajbhasha aur sanskrit .पेशाब कर के आ – मूत्या…,पागल- बाबड़ौ, खेतों के लिए जाने वाला रास्ता – दगरौ या दगरिया
मस्तक-माथौ , पैर-पाम , घुटना-घोंटू, हथेली-हथेरी नाख़ून-नौह, मूँछ-गौंछ, बाजू-बांह , ऊँगली-अंगुरिया, बाल-बार , माता-मइयो,भाई-भइया ,बुआ -भुआ ,मामी-माईं,ससुर-सुसर ,साली-सारी |
ओदन (boiled)-
दूध औटाना -दूध उबालना,संस्कृत शब्द ते लियौ गयौ ऍह |
(नवगृह )- नौघरे या नयौ घर, ई शब्द ऊ संस्कृत ते लियौ गयौ ऍह |
अत्र here
इत शब्द (कूँ) ऊ संस्कृत कौ बिगडॉ भयौ रूप ऍह |
इन जैसे हजारौ शब्द ऐसे ऍह जो मूल रूप ते संस्कृत ते ई निकरे ऍह |कुतः(= from where) “कित ते” शब्द कौ मतलब ई ऊ संस्कृत ते लियौ गयौ हतै |
रिक्त-रीतौ
पूर्ण-पूरौ |
दूध औटाना -दूध उबालना,संस्कृत शब्द ते लियौ गयौ ऍह |
(नवगृह )- नौघरे या नयौ घर, ई शब्द ऊ संस्कृत ते लियौ गयौ ऍह |
अत्र here
इत शब्द (कूँ) ऊ संस्कृत कौ बिगडॉ भयौ रूप ऍह |
इन जैसे हजारौ शब्द ऐसे ऍह जो मूल रूप ते संस्कृत ते ई निकरे ऍह |कुतः(= from where) “कित ते” शब्द कौ मतलब ई ऊ संस्कृत ते लियौ गयौ हतै |
रिक्त-रीतौ
पूर्ण-पूरौ |
Learn Brajbhasha 3-
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साभार:- ब्रजवासी
ब्रजभूमि का सबसे बड़ा वन महर्षि 'सौभरि वन'
आऔ ब्रज, ब्रजभाषा, ब्रज की संस्कृति कू बचामें
ब्रजभाषा लोकगीत व चुटकुले, ठट्ठे - हांसी
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