'सांझी पर्व' (झांजी ) राजस्थान, गुजरात, ब्रजप्रदेश, पंजाब,हरियाणा तथा अन्य कई क्षेत्रों में कुवांरी कन्याओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है जो भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक अर्थात पूरे श्राद्ध पक्ष में सोलह दिनों तक मनाया जाता है। सांझे का त्यौहार कुंवारी कन्याएं अत्यंत उत्साह और हर्ष से मनाती हैं।
सांझी का मतलब है सज्जा, श्रृंगार या सजावट |वैदिक काल से ही यज्ञ या दूसरे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए फर्श और दीवारों को रंगों से साज-सज्जा करने की परंपरा रही है | पौराणिक कथाओं में ब्रह्मा के मानस पुत्र पीललम ऋषि की पत्नी 'सांझी' थी, जिसे मां दुर्गा भी कहते हैं। घर के बाहर, दरवाजे पर दीवारों पर कुंवारी लड़कियां गाय का गोबर लेकर विभिन्न आकृतियां बनाती हैं। उन्हें फूल पत्तों, मालीपन्ना सिन्दूर आदि से सजाती हैं और प्रतिदिन शाम को उनका पूजन करती हैं और घर-घर जाकर संझादेवी के गीत गाती हैं एवं प्रसाद वितरण करती हैं। प्रसाद ऐसा बनाया जाता है जिसे कोई ताड़ (बता) न सके, जिस कन्या के घर का प्रसाद ताड़ नहीं पाते उसकी प्रशंसा होती है।
विसर्जन-
अंत के पाँच दिनों में हाथी-घोड़े, किला-कोट, गाड़ी आदि की आकृतियाँ बनाई जाती हैं। सोलह दिन के पर्व के अंत में अमावस्या को संझा देवी को विदा किया जाता है।
ब्रज में इसका अलग ही रूप विकसित हुआ है, सांझी देखने में रंगोली जैसी लगती है |
शाम के वक्त श्रीकृष्ण, जब राधा से मिलने आया करते थे, वह उन्हें रिझाने के लिए फूलों से तरह-तरह की कलाकृतियां बनाया करती थीं। जब श्रीकृष्ण गोकुल छोड़कर चले गए, तब भी श्रीराधा उनके साथ बिताए गए पलों की याद में इस तरह की पेंटिंग्स बनाया करती थीं।
मान्यता यह भी है कि सांझी शब्द दरअसल सांझ से बना है, जिसका अर्थ है शाम। ब्रज में “सांझी” शाम को ही बनाई जाती है।
इस कला का ब्रज से बड़ा गहरा नाता है, यह श्रीकृष्ण और श्रीराधा के अटूट प्रेम को दर्शाने के लिए बनाई जाती है।
सांझी के रूप-
1. फूलों की सांझी
2. गोबर सांझी
3. सूखे रंगों की सांझी
4. पानी के नीचे सांझी
5. पानी के ऊपर सांझी
मथुरा और वृंदावन के आसपास सांझी के कई रूप देखने को मिलते हैं। सूखे रंगों की सांझी, पानी के अंदर या सरफेस पर बनने वाली संझी देखने को मिल जाती है। ब्रज के ग्रामीण इलाकों में गोबर से भी सांझी बनाई जाती है।
वर्तमान स्थिति-
एक वक्त था जब ब्रज के घर-धर में सांझी बनाई जाती थी मगर आज सांझी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है। ब्रज में एकमात्र "श्री राधा रमण मंदिर" ही ऐसा है, जहां पर सांझी बनाई जाती है।
{ Brajbhasha- कनागत आमतई गांमन में "झांजी" (गोबर ते बनी भई कलाकारी )
बनाबे कौ सिलसिलौ शुरू है जामतौ ऍह |ई बहौतई पुरानी रीति ऍह जो कैऊ सदींन
ते चली आ रई ऍह |
या के बारे में में लोक-गीत बड़ौ ई प्रसिद्ध ऍह-
1- झांजी-झांजी जैं लै, काह जैंमैंगी गुड्बट्टा | गुड्बट्टा तो कूं कांह ते लाऊँ, रांड बनैनी नाँय देगी पल्लौ बनिया भागगौ || और या के अलावा कैऊ और गीत हते | 2- केसुरा-केसुरा घंटार बजइयो, दस नगरी दस गाम बसाइयो ........ (अरै बचपन कछु याद आयी कै नाँय ???) } 3- ऐसी दुंगा दारी के चमचा की, काम करउंगा धमका से | मैं बैठूंगा गद्दी पै, बाय बैठऊंगा खूंटी पै ||
Sanjhiis a traditional art form, prevalent in many parts of India , especially in Rajasthan, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, Haryana, Punjab and also prevalent in Maharashtra and Goa . Unmarried girls in rural Areas , make an image of mother goddess by mud or dung paste , Turmeric, Wheat flour, Glass pieces, Panni, Gota, Kaudi, Coloured powders, Flowers, Banana leaves, etc. and worshiped. Figures of peacock, elephant, horse etc. are also made with cow dung or paper. Sanjhi is made from the patripada to amavasya of Ashwin for fifteen days after that pots are taken for immersion to the nearby ponds. The word Sanjhi literally means the time of dusk and is derived from the Hindi word ‘Sanjh’ or ‘Sandhya’. ‘Sanjhi Puja’ is mainly the worship of Mother Goddess Durga. A common thread runs throughout India and festivals have the similar philosophy behind them. Only the style varies from place to place. Even days coincide. The images of Sanjhi are suggestive of Durga, Uma and Katyayani. Origin of Sanjhi Art- When Radha in her heart wanted to marry to Shri Krishna, they started making of Sanjhi for remembering lord krishna. After making of the images food was offered to them in the evening that was followed by an Aarti. Earthen lamps are lighted and gathering of spinsters around the Sanjhis by holding such lamps takes place in the evening. They sing traditional devotional songs in Chorus with a view to propitiate Mother Goddess. The first song is sung in order to ask Mother Goddess about her necessities regarding eatables and daily wear, etc. In the next song the girls swear to pacify her by the providing her with the necessities. Sacred food is being offered to the Goddess. On immersion time the vessels are hit with cudgels by the village youth to stop the bowls from reaching the other end in the pond . A legend says that none of the bowls should float across the pond and touch the other end, otherwise misfortune would fall on the village.
A Song of the Sanjhi festivals are-
Sanjhi sanjha he kanagat parli paar, dekhan chalo hai sanjha ke lanihar! The Braj Foundation efforts reviving the lost glory of Braj Art "Sanjhi" Every Year.
उदा ०- मेरी सब किताबन नै या किताबन कूँ मेरे थैला में रख देऔ |
सबरे गेहूं के दाने तौ चिरैयान नै चुग लिए |
कुत्तान नै/कूँ तौ घूंसबे की तौ बहौतई बुरी टेब ऍह -कुत्तो को भौकने की तो बहुत ही बुरी आदत है |
PRONOUN-
संज्ञा की जगह पै प्रयोग करबे बारे शब्दन कूँ सर्वनाम कहमतें |
जैसे- वह – वह-बू, उस -बा, उसे -बाय , वे-बे,,उसका -बा कूँ या बाकौ उसी को- बाई कूँ,उनको- बिन कूँ या बिन्नै तुम – तोय या तू , तुम्हें -तुझे,तुमको ही- तुमकूँ ई या तोकूँ ई ,तेरे लिये-तेरे काजें या तिहारे लैं, तूने-तैनैं इस – या, इसे-याय,इसी -यायी,इसी
कूँ-यायी कूँ, इसी के लिए -यायी के मारें ,इसी की बजह से- यायी के
मारें,इनको-इनकूँ या इन्नै,इसका-या कूँ, या याकौ,इसी को-याई कूँ हम – हम,हम ही-हमई,हम भी-हमउ ,हम से-हम ते, हमारा-हमारौ, हमको-हमकूँ, हमारे लिए-हमारेउ काजें मैं – मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं, मुझ से- मो ते भी- उ, ही-ई, मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई, मेरे लिए -मेरे काजें,मुझ को ही- मो कूँ ई की बजह से- के मारें के लिए -के काजें ,से- ते जिस– जा जिसका-जाय या जाकौ इधर– इतकू या इत्ते या इल्लंग, उधर बितकू या बित्ते या पल्लंग, यहाँ- इतकूँ वहां -बितकूँ
सर्वनामउ निरे प्रकार के रहमतें –
व्यक्तिवाचक सर्वनाम-
बू, बे, मैं, तोय आदि जैसे शब्दों को व्यक्तिवाचक सर्वनाम या Personal
Pronoun कहमतें, चौंकि ये शब्द सूदे सूदे काउ व्यक्ति या वस्तु कौ ग्यान
करबामतैं | जैसे-बू और मोहन मिलकें अच्छौ काम करतें |
संकेतवाचक सर्वनाम-
या सर्वनाम के रूप में या बा, याय, बाय शब्दन कौ प्रयोग जो काउ
वस्तु/वस्तुन की ओर संकेत करबे के लैं करौ जामतौ ऍह, तौ बिन्नै संकेतवाचक
सर्वनाम कहमतें | जैसे-कोई व्यक्ति इतकूँ आ रौ ऍह | बू मेरौ गाम वैसौ नाँय जैसौ तुम सोचरे ऍह |
अनिश्चयवाचक सर्वनाम-
कभऊ कभऊ वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम काउ विशेष वस्तु या व्यक्ति कूँ नाँय
दर्शाबै, बाकौ उपयोग एक सामान्य तौर पै करौ जामतौ ऍह ऐसे सर्वनाम कूँ
अनिश्यवाचक सर्वनाम कहमतें | जैसे-कछु आदमी बहौत अच्छे हैमतें | कोई कोई बाकी दुःख की नाँय सुनरौ |
प्रश्नवाचक सर्वनाम- इन्नै प्रश्न पूछबे के लैं प्रयोग करौ जाय | जैसे-
को ऍह तू ? कुनसे कौ ऍह ई पेन ?
चौं आजकल्ल के छोरांन /छोट्टन नै बुरी टेब पररई ऍह ?
VERB-
काउ बस्तु या चीज के बारे में कहबे के लैं याकौ प्रयोग हैमतौ ऍह |
द्विकर्मक क्रिया- जिन क्रियान में दो कर्म हैमत होंय,बाय द्विकर्मक क्रिया कहमतें |
जैसे-
मैंने रामें पुस्तक दई या मैंने राम कूँ पुस्तक दई | दददू नै मो पै ते पइसा लिए |
प्रेऱणार्थक क्रिया बनाबे के नियम- ज्यादातर धातून ते दो-दो प्रेरणार्थक क्रिया बनतैं | जैसे- गिरना-गिरवाना , चढ़ना-चढ़वाना, पीटना-पिटवाना, लूटना-लुटवाना आदि |
अन्य-
जैसे-सुरेश कलेऊ (नाश्ता) कर रौ ऍह | हरी लड्डू खा रौ ऍह | चिरैया आसमान में उड़ रई ऍह | घोडा घास चर रौ ऍह | छोरा सबन के ऊपर गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह | गुरु जी बन्दरन नै तार (भगा) रे ऍह | बू बापै भैरा रौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है) छोरी बाहर जाबे कौ मूडौ बना रई ऍह |- (लड़की बाहर जाने का बहाना बना रही है |
Causative verbs –
या प्रकार के वाक्यन में कर्ता कोई काम अपने आप ना करकें ,कोई दूसरे ते करबामतौ ऍह |
उदा०-भगबायौ,पिटबायौ ,कुचलबायौ,सरकबायौ, खबबायौ,नहलबायौ आदि |
यांह बेगि शब्द दौड़बे ( क्रिया ) की बिशेषता बतारौ ऍह
चिरैया आसमान में ऊंची उड़ रई ऍह | घोडा हरी घास चर रौ ऍह | छोरा सबन के ऊपर रंग-बिरंगी गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह | गुरु जी बन्दरन नै मोटे बारे डण्डा ते तार (भगा) रे ऍह | बू बापै बड़े-बड़े ढिले (मिटटी के टुकड़े ) फैंकरौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
conjuction-
जब दो या दोन ते ज्यादा शब्दन कूँ या वाक्यन कूँ जोङतौ ऍह । बाय समुच्चयबोधक कहमतें |
कछु शब्द या प्रकार ऍह-
तब,और,बरना,इसलिए,ताकि,चूँकि,अथवा,अन्यथा,एवं,तौ,फलतः, ,परन्तु, पर, किन्तु, मगर यदि….तो, जा…तो, यद्यपि….तथापि, यद्यपि…परन्तु आदि।
जैसे-
तू चाहमतौतौ तौ बू कल आ जामतौ |
दोऔर दो चार हैमतें |
रोहन आगरा जा रौ ऍहमगर मोहन दिल्ली कूँ |
मैं पढ़नौ चहामतौ ऊँहपर किताबन ते नाँय सिर्फ ऑनलाइन ई |
राहुल आज विष्णु केसंग पोखर पै गयो ऍह |
Note-
Conjunctions
की ई तरह relative pronouns, relative adverbs और prepositions ऊ शब्दन या
वाक्यन कूँ जोड़ने कौ काम करतें | यालैं (इसलिए इन्नै अलग अलग चिन्हित
करते समय सावधानी बर्तनों जरुरी ऍह |
preposition-
बे शब्द या
बिन शब्दन कौ समूह जो काउ संज्ञा या सर्वनाम ते पहले लगाए जामतें और बू
सम्बन्धसूचक बा संज्ञा या सर्वनाम कौ सम्बन्ध काउ दूसरे शब्द ते प्रदशित
करतें |
या यौंह कह सकैं कै “बू वाक्य जामें गहरी अनूभूति हो बाय विस्मयादिबोधक कहमतें” |
जैसे- कौ,की,के,भी,लिए,और आदि
बू किसान खेतमें काम करतौ ऍह |
बबलू पोखरके अंदर नहारौ ऍह |
राम, श्यामकौ बहौत बडे मित्र ऍह |
राम की मोय नाँय पतौ , बू घर ते बाहर ऍह |
राम अपने घर वारेन के संग सबरे सामान समेत गयौ ऍह |
यांह जो ऊपर गहरे शब्द ऍह, बे सब सम्बन्धबोधक ऍह |
“भी” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “उ” लगाबे ते हिंदी के “भी” शब्द के हांई काम करतौ ऍह |
जैसे-
महादेवउ और रमेशउ दिल्ली कूँ जांगे |-महादेव भी रमेश भी दिल्ली को जाएंगे
तूउ और मैंउ संगई संग जांगे |
मैं खाबे कूँ तोकूँ चीनीउ और बुरौउ दंगो |
रेलउ और बसउ दोनोंई खचाखच भरी भयीं हती |
तूउ और मैंउ संगई संग जांगे |
याकेउ छोरा कौ नाम कान्हा ऍह और बाकेउ छोरा कौ नामउ कान्हा ऍह |
“ही” अक्षर कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “ई” लगाबे ते हिंदी के “ही” शब्द के हांई काम करतौ ऍह |
कभी – कबहुँ
किसकी या किसका – काईकी या काईका
कैसा – कैसौ
कौन – को
कितना -कितनौ या कै
कौनसा -कुनस
किधर-कित या कितकूँ
कहीं- कहूँ
उदाहरण-
Braj- को को, ऍह जो नाचबौ चाहमतौ ऍह ?
Hindi- कौन- कौन, ऍह जो नाचना चाहता है ?
Braj- कुनसी, बस गड्ढे में गिर गयी ऍह?
Hindi- कौनसी, कौनसी बस गड्ढे में गिर गयी है ?
Braj- काह, तुम मो ते ई कह रे एन्ह ?
Hindi- क्या, आप मुझ से ही कह रहे हो ?
Braj– हमारौ देश चौं नाँय तरक्की कर रौ ऍह ?
Hindi– हमारा देश क्यों नही तरक्की कर रहा है ?
Braj– आलू कै रुपइया किलो चलरे ऍह?
Hindi– आलू कितने रूपये चल रहे हैं ?
Braj– तुम कांह जा रे ऍह ?
Hindi– तुम कहाँ जा रहे हैं ?
Braj– तेरौ स्कूल कितकूँ एन्ह ?
Hindi– तेरा स्कूल किधर है ?
Brajbhasha Tense-
Present Tense-
वर्तमान
काल कौ प्रयोग ऐसी घटनान नै बरनन करबे कूँ हैमतौ ऍह, जो ई बतातैं कै ई
क्रिया रोज नियमित तरीका ते हैमतौय या है रौ ऍह,वाक्यन के अन्त में तौ
ऍह,ती ऍह,तौ ऊँह आमतें आदि |
जैसे- (indefinite)-
राम खामतौ ऍह – राम खाता है
बिल्ली मूसे कूँ खामतै -बिल्ली चूहे को खाती है
Continuous-
बन्दर कुदक कुदक कैं झीना पै चढ़ रौ ऍह-बन्दर कूद कूद कर सीढ़ियों पर चढ़ रहा है|
बाय बहौत जोरन ते भूख लग रई ऍह – उसे बहुत जोर से भूख लग रही है |
छोरा छोरी ते मिठया मिठया कैं बोलरौ ऍह -लड़का लड़की से प्रेम से बोल रहा है |
Perfect-
बिलौंटा दूध की हड़िया कूँ चट्ट कर चुकौ ऍह- नर बिल्ली दूध की हांड़ी को चट कर चूका है|
आंच बरबे ते पहलें सेमरी राँध चुकी ऍह- आग लगने से पहले सेवई पक चुकी हैं |
Perfect Continuous-
पिछले चार घंटान ते मोय खेत पै ते चिरैया तारनी पर र ई ऍह-पिछले चार घंटौं से मुझे खेत से चिड़िया भगानी पड़ रही हैं |
२ दिनान ते गइया दूध दैबे कूँ पाँस नाँय रई-२ दिन से गाय दूध दुह ने के लिए पाँस नही रही है|
Past Tense-
जो समय
बीतगौ , बा समय में भये भाए काम की पतौ चलतै और अंत में गयौ, गयी,गये या
हतै,हती,हतें आदि शब्द आमें तौ समझ जाऔ ई पास्ट टेंस ऍह,वाक्य के अंत में
यौ,यी ,ये, या फिर हते,हती,हतो आदि आमें तौ समझ लेऔ,पास्ट कौ बोध है रौ ऍह |
|
(indefinite)-
जैसे-
बू तौ स्कूल गयौ |
मो ते मक्खी चिपट गयी |
कल्ल को को दिल्ली कूँ गये |
बू अपनी बहु कौ नाम भूल गयौ हतो |
इ पहले तौ मंदिर जामतौ हतो,अब नाँय जाबै |
Continuous- वाक्य के अंत में रहयौ हतो,रई हती, रये हते या शब्द के अंत में औ की आबाज आबै तो समझ जाऔ कै पास्ट कंटीन्यूअस ऍह | जैसे-
गइया खेत पे घास चार रई हती |
Perfect-वाक्य के अंत चुकौ हतै , चुकी हती ,चुके हते आमें तौ बू टेंस कहलामतौ ऍह |
जैसे-
लड्डू खाबे ते पहलें फूट चुकौ हतो |
लड्डू खाबे ते पहलें फूट चुकौ हतो |
Perfect Continuous- ई टेंस बतामतौ ऍह कै भूतकाल में ऊ काम जारी हतो |
जैसे- राहुल जनवरी ते ई खानों नाँय खा रौ हतो |
Future Tense-
जिन वाक्यन के अंत में गौ, गो, गी,गे आमतें,बू फ्यूचर टेंस कहलामतौ ऍह |
Indefinite-वाक्यन के अंत में गौ, गो, गी,गे आनौ या टेंस की पहिचान ऍह |
जैसे-
मैं घर कूँ जांगो |
तू कछु खाबैगौ काह?
Continuous- वाक्य के अंत में रौ होयगौ,रई होयगी,रे होंगे, आमें तौ बू फ्यूचर कॉन्ट्यूनियस कहलामतौ ऍह |जैसे-
घनश्याम बा समय पै दिल्ली जारौ होयगौ |
बू मिन्दर में मिठाई बाँट रौ होयगौ |
Perfect- वाक्य के अन्त में चुकौ होयगौ, चुकी होयगी ,चुके हुंगे, आमें बाय फ्यूचर परफेक्ट कहमतें | जैसे-
माला वारौ धागा में बीज पो चुकौ होयगौ |
रसगुल्ला परोसबे ते पहले बे चूरू लै चुके हुंगे |
Perfect Continuous- फ्यूचर परफेक्ट कंटिन्युअस टेन्स बतामतौ ऍह कै कोई काम निश्चित समय में में शुरू होयगौ और भविष्य के दिए भये समय तक चलतौ ई रहबैगौ | जैसे-
मैं कल्ल धौताय (सुबह ) ते गिल्ली डण्डा खेल रौ हुंगो |
राहुल तोय मैं सही बताय रऊँ कै, २ घंटा ते डॉक्टर नाँय आबे के मारें मरीज जान ते मररौ होयगौ |
Brajbhasha Vocabulary——
प्रश्नवाचक- क्या-काह, क्यों-चौं, किसलिए -कायकूं, कहाँ-कां, किसी-काउ, कभी-कबहुँ कैसा-कैसौ, कौन -को, कितना-कितनौ, कौनसा-कुनसौ किधर-कित या कितकूँ, यहाँ- इतकूँ, वह-बितकूँ| स्वाद- खारा-खट्टो, कड़वा-कलेलौ, मीठा-मीठौ | रंग- क|ला-कारौ, पीला-पीरौ, भूरा-गोरौ, सफ़ेद-धौरौ भूरौ भरंग, कारौ कसट्ट, पीरो झनक, लाल सुरक्क, हरौ कच्च, सफ़ेद भक्क अच्छा- नेक, सुन्दर-मलूक शरारती-निकममौ या बेहया, नुकीला-पैनौ चतुर-चालाक क्रिया- खाना=खानों, पीना-पीनौ, रहना-रहनौ, सोना-सोनौं, काटना-काटनौ, चलना-चलनौ नींद आना – औंग आनासर्वनाम & पूर्वसर्ग – वह-बू, हम-हम, वे-बे इस-या, इसे-याय, उस -बा, उसे -बाय इसका-या कूँ या याकौ , उसका -बा कूँ या बाकौ इसी को-याई कूँ, उसी को- बाई कूँ मैं-मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं भी-उ, ही-ई, मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई मुझ को ही- मो कूँ ई की बजह से- के मारें से- ते, मेरा-मोकूं , तेरा-तोकू, हमारा -हमकूं, उसका-वाकू, इसको-या कू, तुम-तू या तोय , मैं-मोय , वह-बू ,यह- ई अब-अबई, क्यों-चौं, उसको-वाकू या जाय , इसको-याकू या याय वहाँ-म्हां, क्यों-कायकूं , कभी-कबऊ, नही-न या नाय, सभी-सबन्नै जिस-जा, जिसका-जाय या जाकौ, इनको-इन्नै, उनको-बिन्नै इधर-इतकू या इत्ते, उधर बितकू या बित्ते, जल्दी-बेगि, बड़ा-बड़ौसंज्ञा- गाय-गैया, चूहा-मोसौ, बैल-बिजार, बछड़ा-जैंगरा, नेवला-न्यौरा तोता -हरिया, मोर-मोरा, चिड़िया-चिरैया, भैंस का बच्चा – पड्डा सियार-सियारिया, नील गाय-रोज, बकरी-बकरिया मंदिर-मिन्दर, गोवर्धन – गोधन, वृन्दावन-बिन्दावन, बलदेव-दाऊजी, मथुरा-मथरा ट्रेक्टर- टैकटर, बाइक- मोटर साईकिल, टेम्पो-टम्पू, बघ्घी-बुग्गी , भूसा -भुस चावल-चामर, बाजरा-बाजरौ, ज्वार- चरी, बरसीम- बरसम, खाली -रीतौ , गडुआ -लोटा बहुत-निरे, बिन बालों का सिर -खुटमुंडी टांट, जी भर के- झिककैं, जोर से-मसक्कैं, परों में दर्द मारना-पामन में भड़क मारनौ ,बार-बार मिन्नत करना -निहोरे करना आँहाँ-हाँ, नहीं-नाँय, हम्बै-हाँ जी, न्याःह -इधर आ ठंठाठेल- मजबूत , छट्टा-शानदार , धींगरा-शक्तिशाली जलना-भुरसना या पजरना, बड़ी मुश्किल से – नीठ
खाना खाने के बाद पानी पीना- चूरू लेना , रगड़ना-मीडना, बिना नमक वाला-
अरौनौ, नंगा-उगाहरौ जबरदस्ती-धिंगरै या धिंगरई, धौंस -चुनौती गौंहजौ
-नादान, ख्वारी हैनौ – परेशानी का सामना करना औगन- शोर शराबा , औंढी-गहरी , पोखर-तालाब, चुपटानौ – चिपकाना, लम्बी फैंकनौ – डींगें मरना कलेउ -जलपान अभाल- अभी अकवार-सामने , निचाबलौ -चुपचाप, किल्ल परैगी-डांट पड़ेगी , बर्रानौ -सपना देखना अवेर है गई है- देर हो गई है , बबरपंच- जबरदस्ती से बीच में हिस्सा लेना या लैं= इस लिए या कूं= इसके लिए वा लैं =उसके लिए या ई कूं =इसी (ही) के लिए वा ई कूं= उसी (ही) के लिए उलाहना – उरहानौ ,अंदर डालना-घुसाना, नौहरनौ-झुकना अलग करना – सुर्जाना , लड़ाना- इरजानौ मुशीबत- औगार ,बगैराह -हंनै ,कोना- किनाठा , अरे- इरे, इधर-इरेकुं ,उधर -परेकुं, उमस-भवका खाली समय- सोपतौ,चापलूसी करना- लुल्ल चुप्प करनौ फांदना – नांखना , रुक जा – डट जा , पास बैठ-जौहरें बैठ पास आज – जौहरें आ ‘या’ ढिंग आ , मुंह-मौहडॉ , सुन्दर-मलूक, शाम-सांझ या संजा सुबह – धौंताय , बिजली गिरना-बीजरी परना, जल्दी निकल जा-बेगि निकर जा, नमक-नौंन चूहा-मूसौ , बाल-बार या लटुरे , जलपान – कलेऊ , सब्जी पकाना -साग रांदना , उबालना- उसेहना कददू- घीया , तालाब-पोखर , चुप रह- निचाव्लौ रैह रिस होना- गुस्सा होना, अभी-अभाल popla Toothless Dokri Old woman kanthi Neckless Beejna Fan Byar Air punyon Full moon day (purnima) Bichara Orphan(male) Tuuk Piece Thaur place paino sharp
नखरे -निहोरे , विपत्ति-भावई, सुबह-धौताएं या सवेरौ, संध्या -संजा, दोपहर-दुपैर, खड़ा होना-ठाडौ रै पागल-बाबडॉ , ऊधमी (लड़की से) -बबालो (छोरी ते ), बास्टर्ड-बिजलौड़ी, ज्यादा सर चढ़ा हुआ-मुथर्र हसी मजाक करना -ठट्ठे मारना, गुस्सा
दिखाना-नठराना , नींद-ऑंग, मनाना-पुचकारना,पति-धनि, पत्नी-धन्यान,
आराम -सोप्तौ , आराम कर लो- दम पकर लै, नहीमानुँगा- अब नाय निठैगी जल पिला दो-पानी प्याय दै, सब आगे निकल गए
पर तुम वही के वही हो- सबरे आयगें निकरगे पर तू तौ मही के मही ऐं,
चारा-न्यार , बरसीम- बरछी , दरातीं-दरांत , कुल्हाड़ी-कुडारी,लकड़ी-लकडिया ,
बबूल- बमूर , जामुन-जामिल, गढ्डे को भर दो- गढ्डे अटाय देऔ, तरबूज-
मतीरा
Agreeculture-
बुबाई-बोमनी, जुताई-जोत , सिंचाई -परहेट, फावड़ा -फाबरौ, नाली-बराह, गोबर का ढेर -घूरौ पेशाब कर के आ – मूत्या…,पागल- बाबड़ौ, खेतों के लिए जाने वाला रास्ता – दगरौ या दगरिया मस्तक-माथौ , पैर-पाम , घुटना-घोंटू,
हथेली-हथेरी नाख़ून-नौह, मूँछ-गौंछ, बाजू-बांह , ऊँगली-अंगुरिया, बाल-बार
, माता-मइयो,भाई-भइया ,बुआ -भुआ ,मामी-माईं,ससुर-सुसर ,साली-सारी |
Brajbhasha aur sanskrit .
ओदन (boiled)- दूध औटाना -दूध उबालना,संस्कृत शब्द ते लियौ गयौ ऍह | (नवगृह )- नौघरे या नयौ घर, ई शब्द ऊ संस्कृत ते लियौ गयौ ऍह | अत्र here
इत शब्द (कूँ) ऊ संस्कृत कौ बिगडॉ भयौ रूप ऍह |
इन जैसे हजारौ शब्द ऐसे ऍह जो मूल रूप ते संस्कृत ते ई निकरे ऍह |कुतः(= from where) “कित ते” शब्द कौ मतलब ई ऊ संस्कृत ते लियौ गयौ हतै | रिक्त-रीतौ पूर्ण-पूरौ |